हैरान था समंदर भी मेरे डूबने पे|
ये कैसा शख्स है किसी को पुकारता ही नहीं|
True feelings of heart by Ankit Rana
True feelings of heart by Ankit Rana. poems, shayri. I love to write sometime.
Thursday, December 1, 2011
Thursday, July 21, 2011
तुम मुझे भुला देना
टूट कर ज़रा देखो ,
तुम अगर बिखर जाओ ,
बेबसी में घिर जाओ ,
दिल से इक आवाज देना ,
बस मुझे बुला लेना ,
में तुम्हे संभालूँगा ,
ज़िन्दगी में चलने का ,
रास्ता बदलने का ,
इक हुनर सिखा दूंगा,
तुमको होसला दूंगा ,
और जब संभल जाओ ,
रौशनी में ढल जाओ ,
मुझको यूँ सिला देना ,
तुम मुझे भुला देना …............
तुम अगर बिखर जाओ ,
बेबसी में घिर जाओ ,
दिल से इक आवाज देना ,
बस मुझे बुला लेना ,
में तुम्हे संभालूँगा ,
ज़िन्दगी में चलने का ,
रास्ता बदलने का ,
इक हुनर सिखा दूंगा,
तुमको होसला दूंगा ,
और जब संभल जाओ ,
रौशनी में ढल जाओ ,
मुझको यूँ सिला देना ,
तुम मुझे भुला देना …............
Monday, July 4, 2011
zinda hun is tarah ki zindgi nahi
zinda hun is tarah ki zindgi nahi,
jalati huwi diya hun magar roshani nahi .
wo muddaten huyi hai kisi se juda huye ,
lekin ye dil ki aag abhi tak bujhi nahi .
aane ko aa chuka tha kinaara bhi saamane ,
Khud usake paas meri hi justjoo nahi.
hoton ke paas aaye hansi , kya majaal hai ,
dil ka mamala hai koi dillagi nahi.
ye chand, ye hawa, ye fiza, sab hai mand mand ,
jo tu nahi to in me koi dil-kashi nahi ,
jalati huwi diya hun magar roshani nahi .
wo muddaten huyi hai kisi se juda huye ,
lekin ye dil ki aag abhi tak bujhi nahi .
aane ko aa chuka tha kinaara bhi saamane ,
Khud usake paas meri hi justjoo nahi.
hoton ke paas aaye hansi , kya majaal hai ,
dil ka mamala hai koi dillagi nahi.
ye chand, ye hawa, ye fiza, sab hai mand mand ,
jo tu nahi to in me koi dil-kashi nahi ,
Monday, June 20, 2011
कभी-कभी बस यू ही
कभी-कभी बस यू ही,
ये दिल जब तुम्हे ढूदने निकलता है!
तुम एक छाव बनकर चुपके से आती हो,
मै आँखें बंद करता हूँ,
और तुम बस मुझे छूकर निकल जाती हो!
कभी-कभी बस यू ही,
ये दिल जब संग परछाइयों के चलता है!
तूम हर मोड़ पर खड़ी नजर आती हो,
मै चाह कर भी नहीं रुक पता हूँ,
और तुम हाथ हिलाते हुए दूर निकल जाती हो!!
कभी-कभी बस यू ही,
जब बादल आँखों में रुक जाते है!
तुम बनके अहसास उन्हें उदा ले जाती हो.
मै कहीं रो ना दू तन्हाई में,
तुम मेरी पलकों को बस चूम कर निकल जाती हो!!
कभी-कभी बस यू ही,
जब बेंचेनियाँ होती है यादों में,
तुम अहसास बनकर सिमट आते हो!
लाते हो नींद को ऊँगली थामे मेरे पास तुम,
भेज कर मुझे सपनो की दुनिया में ,,...दूर कहीं तुम निकल जाते हो .................
ये दिल जब तुम्हे ढूदने निकलता है!
तुम एक छाव बनकर चुपके से आती हो,
मै आँखें बंद करता हूँ,
और तुम बस मुझे छूकर निकल जाती हो!
कभी-कभी बस यू ही,
ये दिल जब संग परछाइयों के चलता है!
तूम हर मोड़ पर खड़ी नजर आती हो,
मै चाह कर भी नहीं रुक पता हूँ,
और तुम हाथ हिलाते हुए दूर निकल जाती हो!!
कभी-कभी बस यू ही,
जब बादल आँखों में रुक जाते है!
तुम बनके अहसास उन्हें उदा ले जाती हो.
मै कहीं रो ना दू तन्हाई में,
तुम मेरी पलकों को बस चूम कर निकल जाती हो!!
कभी-कभी बस यू ही,
जब बेंचेनियाँ होती है यादों में,
तुम अहसास बनकर सिमट आते हो!
लाते हो नींद को ऊँगली थामे मेरे पास तुम,
भेज कर मुझे सपनो की दुनिया में ,,...दूर कहीं तुम निकल जाते हो .................
लोट आओ , बस अब लोट आओ
कहीं वो मिले तो उसे कहना की लोट आओ,
किसी की बातें , किसी की यादें , किसी की रातें,
तुम बिन बहुत अधूरी हैं!
लोट आओ की कोई तुम बिन पल -पल ,
हर पल , हर आज और हर कल तनहा है!
लोट आओ की तुम्हारे ना होने से,
किसी की आँखों में नमी और ज़िन्दगी में कमी बहुत ज्यादा है!
कहीं मिले तो उसे कहना की लोट आओ ,
बस अब लोट आओ .
किसी की बातें , किसी की यादें , किसी की रातें,
तुम बिन बहुत अधूरी हैं!
लोट आओ की कोई तुम बिन पल -पल ,
हर पल , हर आज और हर कल तनहा है!
लोट आओ की तुम्हारे ना होने से,
किसी की आँखों में नमी और ज़िन्दगी में कमी बहुत ज्यादा है!
कहीं मिले तो उसे कहना की लोट आओ ,
बस अब लोट आओ .
तुझे भूलने की कोशिश में
तुझे भूलने की कोशिश में ,
जब दिल ये जिद पे आ गया ,
में आँख मूँद के बैठ गया ,
तू ख़याल पे फितुझे भूलने की कोशिश में ,
जब दिल ये जिद पे आ गया ,
में आँख मूँद के बैठ गया ,
तू ख़याल पे फिर छा गयी ?
ये धड़कन कहीं रुक जाए ना ,
मेरी नब्ज़ थम ना जाए कहीं ,
मेरी हर दलील को किया अनसुनी ,
मेरी फ़रियाद भी तो सुनी नहीं ,
में हैरान हु , हाँ कुछ परेशान हु ,
ऐसा फैसला तू मुझे सुना गयी ?
मुझे चाँद की कभी तलब ना थी ,
मुझे सूरज की भी फिकर नहीं ,
बस आँख खोलना ही चाहते थे हम ,
मगर तू रौशनी ही बुझा गयी ?
बेशक भूलना तुझे चाहा बहुत ,
हंस कर कभी , रो कर कभी ,
दे कर ये आंसुओं की सौगात मुझे ,
तू दामन अपना छुड़ा गयी!र छा गयी ?
ये धड़कन कहीं रुक जाए ना ,
मेरी नब्ज़ थम ना जाए कहीं ,
मेरी हर दलील को किया अनसुनी ,
मेरी फ़रियाद भी तो सुनी नहीं ,
में हैरान हु , हाँ कुछ परेशान हु ,
ऐसा फैसला तू मुझे सुना गयी ?
मुझे चाँद की कभी तलब ना थी ,
मुझे सूरज की भी फिकर नहीं ,
बस आँख खोलना ही चाहते थे हम ,
मगर तू रौशनी ही बुझा गयी ?
बेशक भूलना तुझे चाहा बहुत ,
हंस कर कभी , रो कर कभी ,
दे कर ये आंसुओं की सौगात मुझे ,
तू दामन अपना छुड़ा गयी!
जब दिल ये जिद पे आ गया ,
में आँख मूँद के बैठ गया ,
तू ख़याल पे फितुझे भूलने की कोशिश में ,
जब दिल ये जिद पे आ गया ,
में आँख मूँद के बैठ गया ,
तू ख़याल पे फिर छा गयी ?
ये धड़कन कहीं रुक जाए ना ,
मेरी नब्ज़ थम ना जाए कहीं ,
मेरी हर दलील को किया अनसुनी ,
मेरी फ़रियाद भी तो सुनी नहीं ,
में हैरान हु , हाँ कुछ परेशान हु ,
ऐसा फैसला तू मुझे सुना गयी ?
मुझे चाँद की कभी तलब ना थी ,
मुझे सूरज की भी फिकर नहीं ,
बस आँख खोलना ही चाहते थे हम ,
मगर तू रौशनी ही बुझा गयी ?
बेशक भूलना तुझे चाहा बहुत ,
हंस कर कभी , रो कर कभी ,
दे कर ये आंसुओं की सौगात मुझे ,
तू दामन अपना छुड़ा गयी!र छा गयी ?
ये धड़कन कहीं रुक जाए ना ,
मेरी नब्ज़ थम ना जाए कहीं ,
मेरी हर दलील को किया अनसुनी ,
मेरी फ़रियाद भी तो सुनी नहीं ,
में हैरान हु , हाँ कुछ परेशान हु ,
ऐसा फैसला तू मुझे सुना गयी ?
मुझे चाँद की कभी तलब ना थी ,
मुझे सूरज की भी फिकर नहीं ,
बस आँख खोलना ही चाहते थे हम ,
मगर तू रौशनी ही बुझा गयी ?
बेशक भूलना तुझे चाहा बहुत ,
हंस कर कभी , रो कर कभी ,
दे कर ये आंसुओं की सौगात मुझे ,
तू दामन अपना छुड़ा गयी!
Tuesday, May 10, 2011
Ye GAM kya tujh se chhut jaayenge
Tum se dur bahut rah kar bhi kya paya kya payenge.
Dukh bhi sachche, Sukh bhi sachche phir bhi teri chaahat me,
Hum ne kitne dhoke khaaye, kitne dhoke khaayenge.
Akal pe hum ko naaz bahut tha, lekin ye kab socha tha,
Ishq ke haathon ye bhi hoga log hume samajhayenge.
kal ke dukh bhi kaun se baaki aaj ke dukh bhi kai din ke,
Jaise din pahle kate the ye din bhi kat jaayenge.
Hum se jab tanhaa ghabarayenge sahra me,
Raaste sab tere hi ghar ki dahlij ki aur mud jayenge.
Aankhon se ojhal hona kya dil se ojhal hona hai,
Mujh se chhut kar bhi ye GAM kya tujh se chhut jaayenge..........
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