Pages

Friday, April 1, 2011

तनहा रह गया हूँ

आज पहली बार यह महसूस हुआ के मैं इस दुनिया में तनहा रह गया हूँ ,
जो था ही नहीं कभी मेरा उस के बगैर मै तनहा रह गया हूँ ,

कभी इन रास्तों मै से गुज़र कर उसको घर तक छोड़ आती थी ये नज़र .
आज में उन ही रास्तों मै तनहा रह गया हूँ ,

कभी वो मुझ से इशारों में बातें किया करती थी ,
हँसता हूँ आज मै अपने ही इशारों मै तनहा रह गया हूँ ,

यकीन है मुझको के कभी तो वो लौट आएगी ,
इन्तजार करता हूँ आज मै उसका में तनहा रह गया हूँ

तनहा ही आया था इस दुनिया में शायद इसीलिए आज तनहा रह गया हूँ

2 comments:

Anonymous said...

hmmmmm

Anonymous said...

Nice work bro