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Monday, June 20, 2011

कभी-कभी बस यू ही

कभी-कभी बस यू ही,
ये दिल जब तुम्हे ढूदने निकलता है!
तुम एक छाव बनकर चुपके से आती हो,
मै आँखें बंद करता हूँ,
और तुम बस मुझे छूकर निकल जाती हो!

कभी-कभी बस यू ही,
ये दिल जब संग परछाइयों के चलता है!
तूम हर मोड़ पर खड़ी नजर आती हो,
मै चाह कर भी नहीं रुक पता हूँ,
और तुम हाथ हिलाते हुए दूर निकल जाती हो!!

कभी-कभी बस यू ही,
जब बादल आँखों में रुक जाते है!
तुम बनके अहसास उन्हें उदा ले जाती हो.
मै कहीं रो ना दू तन्हाई में,
तुम मेरी पलकों को बस चूम कर निकल जाती हो!!

कभी-कभी बस यू ही,
जब बेंचेनियाँ होती है यादों में,
तुम अहसास बनकर सिमट आते हो!
लाते हो नींद को ऊँगली थामे मेरे पास तुम,
भेज कर मुझे सपनो की दुनिया में ,,...दूर कहीं तुम निकल जाते हो .................

लोट आओ , बस अब लोट आओ

कहीं वो मिले तो उसे कहना की लोट आओ,
किसी की बातें , किसी की यादें , किसी की रातें,
तुम बिन बहुत अधूरी हैं!
लोट आओ की कोई तुम बिन पल -पल ,
हर पल , हर आज और हर कल तनहा है!
लोट आओ की तुम्हारे ना होने से,
किसी की आँखों में नमी और ज़िन्दगी में कमी बहुत ज्यादा है!
कहीं मिले तो उसे कहना की लोट आओ ,
बस अब लोट आओ .

तुझे भूलने की कोशिश में

तुझे भूलने की कोशिश में ,
जब दिल ये जिद पे आ गया ,
में आँख मूँद के बैठ गया ,
तू ख़याल पे फि
तुझे भूलने की कोशिश में ,
जब दिल ये जिद पे आ गया ,
में आँख मूँद के बैठ गया ,
तू ख़याल पे फिर छा गयी ?
ये धड़कन कहीं रुक जाए ना ,
मेरी नब्ज़ थम ना जाए कहीं ,
मेरी हर दलील को किया अनसुनी ,
मेरी फ़रियाद भी तो सुनी नहीं ,
में हैरान हु , हाँ कुछ परेशान हु ,
ऐसा फैसला तू मुझे सुना गयी ?
मुझे चाँद की कभी तलब ना थी ,
मुझे सूरज की भी फिकर नहीं ,
बस आँख खोलना ही चाहते थे हम ,
मगर तू रौशनी ही बुझा गयी ?
बेशक भूलना तुझे चाहा बहुत ,
हंस कर कभी , रो कर कभी ,
दे कर ये आंसुओं की सौगात मुझे ,
तू दामन अपना छुड़ा गयी!
र छा गयी ?
ये धड़कन कहीं रुक जाए ना ,
मेरी नब्ज़ थम ना जाए कहीं ,
मेरी हर दलील को किया अनसुनी ,
मेरी फ़रियाद भी तो सुनी नहीं ,
में हैरान हु , हाँ कुछ परेशान हु ,
ऐसा फैसला तू मुझे सुना गयी ?
मुझे चाँद की कभी तलब ना थी ,
मुझे सूरज की भी फिकर नहीं ,
बस आँख खोलना ही चाहते थे हम ,
मगर तू रौशनी ही बुझा गयी ?
बेशक भूलना तुझे चाहा बहुत ,
हंस कर कभी , रो कर कभी ,
दे कर ये आंसुओं की सौगात मुझे ,
तू दामन अपना छुड़ा गयी!