Pages

Monday, April 4, 2011

खुदा भी उसी का था

ठुकरा के उसने मुझको ,

कहा की मुस्कुराओ !

मैंने हस दिया ,

आखिर सवाल उसकी ख़ुशी का था .

मैंने खोया वोह जो मेरा था ही नहीं ,

उसने खोया वो जो सिर्फ उसी का था !!


जिसने हमको चाहा, उसे हम चाह ना सके ,
जिसको चाहा उसे हम पा ना सके ,
ये समझ लो दिल टूटने का खेल है ,
किसी का तोडा और अपना बचा ना सके !!



मंजिलें भी उसकी थी , रास्ता भी उसका था ;
एक हम ही अकेले थे , काफिला भी उसका था ;
साथ चलने की सोच भी उसकी थी , फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था ;
आज अकेले हैं ...दिल सवाल करता है ...
लोग तो उसके थे , ...क्या खुदा भी उसी का था ????

1 comment:

Anonymous said...

ek din sab apna hoga bhai