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Monday, June 20, 2011

तुझे भूलने की कोशिश में

तुझे भूलने की कोशिश में ,
जब दिल ये जिद पे आ गया ,
में आँख मूँद के बैठ गया ,
तू ख़याल पे फि
तुझे भूलने की कोशिश में ,
जब दिल ये जिद पे आ गया ,
में आँख मूँद के बैठ गया ,
तू ख़याल पे फिर छा गयी ?
ये धड़कन कहीं रुक जाए ना ,
मेरी नब्ज़ थम ना जाए कहीं ,
मेरी हर दलील को किया अनसुनी ,
मेरी फ़रियाद भी तो सुनी नहीं ,
में हैरान हु , हाँ कुछ परेशान हु ,
ऐसा फैसला तू मुझे सुना गयी ?
मुझे चाँद की कभी तलब ना थी ,
मुझे सूरज की भी फिकर नहीं ,
बस आँख खोलना ही चाहते थे हम ,
मगर तू रौशनी ही बुझा गयी ?
बेशक भूलना तुझे चाहा बहुत ,
हंस कर कभी , रो कर कभी ,
दे कर ये आंसुओं की सौगात मुझे ,
तू दामन अपना छुड़ा गयी!
र छा गयी ?
ये धड़कन कहीं रुक जाए ना ,
मेरी नब्ज़ थम ना जाए कहीं ,
मेरी हर दलील को किया अनसुनी ,
मेरी फ़रियाद भी तो सुनी नहीं ,
में हैरान हु , हाँ कुछ परेशान हु ,
ऐसा फैसला तू मुझे सुना गयी ?
मुझे चाँद की कभी तलब ना थी ,
मुझे सूरज की भी फिकर नहीं ,
बस आँख खोलना ही चाहते थे हम ,
मगर तू रौशनी ही बुझा गयी ?
बेशक भूलना तुझे चाहा बहुत ,
हंस कर कभी , रो कर कभी ,
दे कर ये आंसुओं की सौगात मुझे ,
तू दामन अपना छुड़ा गयी!

1 comment:

Anonymous said...

Nice yar