ठुकरा के उसने मुझको ,
कहा की मुस्कुराओ !
मैंने हस दिया ,
आखिर सवाल उसकी ख़ुशी का था .
मैंने खोया वोह जो मेरा था ही नहीं ,
उसने खोया वो जो सिर्फ उसी का था !!
जिसने हमको चाहा, उसे हम चाह ना सके ,
जिसको चाहा उसे हम पा ना सके ,
ये समझ लो दिल टूटने का खेल है ,
किसी का तोडा और अपना बचा ना सके !!
मंजिलें भी उसकी थी , रास्ता भी उसका था ;
एक हम ही अकेले थे , काफिला भी उसका था ;
साथ चलने की सोच भी उसकी थी , फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था ;
आज अकेले हैं ...दिल सवाल करता है ...
लोग तो उसके थे , ...क्या खुदा भी उसी का था ????
1 comment:
ek din sab apna hoga bhai
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